मेहनत की कमाई|short moral story in hindi|-
एक बार की बात है एक गाँव में विश्वनाथ नाम का एक अमीर साहूकार रहता था। उसका एक बेटा और एक बेटी थी। लडक़ी की शादी हुए तीन साल हो गये थे और वह अपने ससुराल में खुश थी। लड़के का नाम मोहित था,मोहित वैसे तो बुद्धू नहीं था लेकिन गलत संगत में पड़ने के कारण बिगड़ सा गया था।
अपने पिता के पास बहुत पैसा है यह उसे घमंड हो गया था। दिनभर अपने आवारा दोस्तों के साथ घूमना फिरना ही उसे अच्छा लगता था। जैसे-जैसे वह बड़ा हुआ , वैसे-वैसे पैसे खर्च करने की आदत बढ़ती गयी और वह अपने दोस्तों के कहने पर पानी की तरह पैसा बहाने लगा।उसे अपने पिता के मेहनत के पैसों की कोई कीमत नहीं थी।
अपनी मेहनत की कमाई को बेटा ऐसे गंवा रहा है यह देख विश्वनाथ को चिंता होने लगी। साहूकार(विश्वनाथ) की इच्छा थी कि उसका बेटा बड़ा हो कर सब कारोबार संभाल ले और वह अपनी पत्नी के साथ तीर्थयात्रा पर निकल जाये। अपने बेटे को समझ आने की आस लगाये बैठा विश्वनाथ बुढ़ापे की तरफ बढ रहा था।
एक दिन उसने गांव के ही एक विद्वान गृहस्थ से सलाह लेने की सोची। दोनों ने मिलकर सलाह मशवरा किया। खूब बातें हुई।
दूसरे दिन विश्वनाथ ने मोहित को बुलाया और कहा ''बेटा मोहित घर से बहार जा कर शाम होने तक कुछ भी कमाई करके लाओगे तभी रात का खाना मिलेगा। मोहित डर गया और रोने लग गया। उसे रोता देख मां की ममता आड़े आ गयी। मां ने मोहित को एक रूपया निकालकर दिया। शाम को जब विश्वनाथ ने मोहित से पूछा तो उसने वह एक रूपया दिखाया।
पिता ने वह रूपया मोहित को कुएं में फेंकने के लिये कहा। मोहित ने बिना हिचकिचाहट वह रूपया फेंक दिया। अब विश्वनाथ को अपनी पत्नी पर शक हुआ। उसने पत्नी को उसके भाई के यहां भेज दिया।
दूसरे दिन मोहित की वैसे ही परीक्षा ली गयी। इस बार मोहित मायके आयी हुई अपनी बहन के सामने गिडग़िडाया। तरस खा कर उसकी बहनने भी उसे 5 रूपये दिये। उस दिन भी पिता के कहने पर मोहित ने पैसे कुएँ में फेंक दिये। फिर से विश्वनाथ को लगा कि दाल में कुछ काला है। उसने अपनी बेटी को ससुराल वापस भेज दिया।अब तीसरी बार मोहित का इम्तहान होना था। अब उसे साथ देनेवालों में से ना मां थी ना बहन थी और ना ही कोई दोस्त सामने आया। मोहित सारा दिन सोचता रहा। मेहनत करके पैसे कमाने के अलावा कोई हल नजर नहीं आ रहा था। भूख भी लगने लगी थी। रात का खाना बिना कमाई के मिलने वाला था नहीं। मोहित काम ढूंढने निकल पड़ा। पीठ पर बोझा उठाकर दो घंटे मेहनत करनेके बाद उसे 1 रूपया नसीब हुआ। भूख के मारे वह ज्यादा काम भी नहीं कर पा रहा था। शरीर भी थक कर जवाब देने लग गया था। सो पसीने से भीगा हुआ राजू 1 रूपया लेकर घर पहूँचा।
उसे लग रहा था पिता को अपनी हालत पर तरस आयेगा। लेकिन विश्वनाथ ने उसे सबसे पहले कमाई के बारे में पूछा। मोहित ने अपना एक रूपया जेब से निकाला। पहले के भांति विश्वनाथ एक रूपया कूएँ में फेंकने के लिये कहा। अब मोहित छटपटाया,उसने अपने पिता से कहा ''आज मेरा कितना पसीना बहा है एक रूपया कमाने के लिये। इसे मैं नहीं फेंक सकता। जैसे ही ये शब्द उसके मुह से निकले, उसे अपनी गलती का अहसास हो गया। विश्वनाथ खुश हुआ उसे कुछ कहने की जरूरत नहीं पडी। अब मोहित को पैंसों की कीमत पता चल गयी है ऐसा सोचकर विश्वनाथ भी तीर्थयात्रा की तैयारी में जुट गया।
दोस्तों मेहनत का मोल ऐसे होता है। पसीने की कीमत पसीना बहाकर ही पता चलती हैं। मेहनत पसीने से की गयी कमाई ही खरी कमाई है और उस मेहनत की कमाई की बात ही कुछ और होती है लेकिन अगर कोई व्यक्ति हमारी उस कमाई को पानी की तरह बहा दे तो बहुत बुरा लगता है।
तो दोस्तों आपको हमारी ये short hindi moral story कैसी लगी comment करके जरूर बताना और नीचे दी गई इन कहानियों को भी जरूर पढ़ना-
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अपने पिता के पास बहुत पैसा है यह उसे घमंड हो गया था। दिनभर अपने आवारा दोस्तों के साथ घूमना फिरना ही उसे अच्छा लगता था। जैसे-जैसे वह बड़ा हुआ , वैसे-वैसे पैसे खर्च करने की आदत बढ़ती गयी और वह अपने दोस्तों के कहने पर पानी की तरह पैसा बहाने लगा।उसे अपने पिता के मेहनत के पैसों की कोई कीमत नहीं थी।
अपनी मेहनत की कमाई को बेटा ऐसे गंवा रहा है यह देख विश्वनाथ को चिंता होने लगी। साहूकार(विश्वनाथ) की इच्छा थी कि उसका बेटा बड़ा हो कर सब कारोबार संभाल ले और वह अपनी पत्नी के साथ तीर्थयात्रा पर निकल जाये। अपने बेटे को समझ आने की आस लगाये बैठा विश्वनाथ बुढ़ापे की तरफ बढ रहा था।
एक दिन उसने गांव के ही एक विद्वान गृहस्थ से सलाह लेने की सोची। दोनों ने मिलकर सलाह मशवरा किया। खूब बातें हुई।
दूसरे दिन विश्वनाथ ने मोहित को बुलाया और कहा ''बेटा मोहित घर से बहार जा कर शाम होने तक कुछ भी कमाई करके लाओगे तभी रात का खाना मिलेगा। मोहित डर गया और रोने लग गया। उसे रोता देख मां की ममता आड़े आ गयी। मां ने मोहित को एक रूपया निकालकर दिया। शाम को जब विश्वनाथ ने मोहित से पूछा तो उसने वह एक रूपया दिखाया।
पिता ने वह रूपया मोहित को कुएं में फेंकने के लिये कहा। मोहित ने बिना हिचकिचाहट वह रूपया फेंक दिया। अब विश्वनाथ को अपनी पत्नी पर शक हुआ। उसने पत्नी को उसके भाई के यहां भेज दिया।
दूसरे दिन मोहित की वैसे ही परीक्षा ली गयी। इस बार मोहित मायके आयी हुई अपनी बहन के सामने गिडग़िडाया। तरस खा कर उसकी बहनने भी उसे 5 रूपये दिये। उस दिन भी पिता के कहने पर मोहित ने पैसे कुएँ में फेंक दिये। फिर से विश्वनाथ को लगा कि दाल में कुछ काला है। उसने अपनी बेटी को ससुराल वापस भेज दिया।अब तीसरी बार मोहित का इम्तहान होना था। अब उसे साथ देनेवालों में से ना मां थी ना बहन थी और ना ही कोई दोस्त सामने आया। मोहित सारा दिन सोचता रहा। मेहनत करके पैसे कमाने के अलावा कोई हल नजर नहीं आ रहा था। भूख भी लगने लगी थी। रात का खाना बिना कमाई के मिलने वाला था नहीं। मोहित काम ढूंढने निकल पड़ा। पीठ पर बोझा उठाकर दो घंटे मेहनत करनेके बाद उसे 1 रूपया नसीब हुआ। भूख के मारे वह ज्यादा काम भी नहीं कर पा रहा था। शरीर भी थक कर जवाब देने लग गया था। सो पसीने से भीगा हुआ राजू 1 रूपया लेकर घर पहूँचा।
उसे लग रहा था पिता को अपनी हालत पर तरस आयेगा। लेकिन विश्वनाथ ने उसे सबसे पहले कमाई के बारे में पूछा। मोहित ने अपना एक रूपया जेब से निकाला। पहले के भांति विश्वनाथ एक रूपया कूएँ में फेंकने के लिये कहा। अब मोहित छटपटाया,उसने अपने पिता से कहा ''आज मेरा कितना पसीना बहा है एक रूपया कमाने के लिये। इसे मैं नहीं फेंक सकता। जैसे ही ये शब्द उसके मुह से निकले, उसे अपनी गलती का अहसास हो गया। विश्वनाथ खुश हुआ उसे कुछ कहने की जरूरत नहीं पडी। अब मोहित को पैंसों की कीमत पता चल गयी है ऐसा सोचकर विश्वनाथ भी तीर्थयात्रा की तैयारी में जुट गया।
दोस्तों मेहनत का मोल ऐसे होता है। पसीने की कीमत पसीना बहाकर ही पता चलती हैं। मेहनत पसीने से की गयी कमाई ही खरी कमाई है और उस मेहनत की कमाई की बात ही कुछ और होती है लेकिन अगर कोई व्यक्ति हमारी उस कमाई को पानी की तरह बहा दे तो बहुत बुरा लगता है।
तो दोस्तों आपको हमारी ये short hindi moral story कैसी लगी comment करके जरूर बताना और नीचे दी गई इन कहानियों को भी जरूर पढ़ना-
10.गलतफहमी
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